ईरान-इज़राइल संघर्ष: ईरान के हमले से हिल गए गौतम अडानी, इज़राइल में अरबों की निवेश पर संकट के बादल

Israel Missile Attack: ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक व्यापार और निवेश को प्रभावित किया है, और इसका असर भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी के कारोबार पर भी पड़ रहा है। अडानी ग्रुप की इज़राइल में अरबों डॉलर की परियोजनाएँ, विशेष रूप से हाइफा बंदरगाह, रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उद्यम, और सेमीकंडक्टर परियोजना, इस भू-राजनीतिक संकट के कारण जोखिम में हैं। हाल के समाचारों के अनुसार, अडानी पोर्ट्स के शेयर 3% गिरकर 1,402 रुपये पर पहुंच गए, जो इस संघर्ष के प्रभाव को दर्शाता है और बताता है कि कैसे यह स्थिति अडानी ग्रुप के लिए चुनौतीपूर्ण बन रही है।

निवेश पर संकट क्यों है?

14 जून 2025 को, ईरान और इज़राइल के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया, जब ईरान ने इज़राइल पर मिसाइल हमले किए। इसने मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ा दी और वैश्विक व्यापार पर असर डाला। अडानी ग्रुप, जिसके पास इज़राइल में रणनीतिक निवेश हैं, इस संकट से सीधे प्रभावित हुआ है। हाइफा बंदरगाह, जो भूमध्य सागर में एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, और अन्य परियोजनाएँ अब अनिश्चितता का सामना कर रही हैं।

अडानी ग्रुप के इज़राइल में निवेश

हाइफा बंदरगाह

अडानी ग्रुप ने 2023 में हाइफा बंदरगाह को 1.2 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण किया, जिसमें उनकी हिस्सेदारी 70% है, जबकि गैडोट ग्रुप के पास 30% हिस्सेदारी है यह बंदरगाह अडानी पोर्ट्स के वार्षिक कार्गो वॉल्यूम का 3% योगदान देता है. ईरान-इज़राइल संघर्ष के कारण बंदरगाह पर कार्गो में देरी और शिपिंग मार्गों में परिवर्तन की समस्याएँ आई हैं, जिससे परिचालन लागत बढ़ी है और राजस्व प्रभावित हुआ है।

रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उद्यम

अडानी ग्रुप और एलबिट सिस्टम्स ने 2018 में ‘अडानी एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया’ नामक संयुक्त उद्यम शुरू किया, जो हैदराबाद में हरमेस 900 ड्रोन्स का निर्माण करता है। यह इज़राइल के बाहर इस ड्रोन का एकमात्र निर्माण स्थल है. संघर्ष के दौरान इज़राइली रक्षा बलों (IDF) की ड्रोन मांग बढ़ सकती है, क्योंकि एलबिट सिस्टम्स IDF के 85% ड्रोन्स प्रदान करता है। इससे इस संयुक्त उद्यम को लाभ हो सकता है। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और सुरक्षा चुनौतियाँ इस परियोजना को प्रभावित कर सकती हैं।

सेमीकंडक्टर परियोजना

अडानी ग्रुप और इज़राइल की Tower Semiconductor के साथ $10 अरब डॉलर का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट पहले ही रोक दिया गया था। अब युद्ध की वजह से इसमें और देरी हो सकती है. इससे भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को झटका लग सकता है।

शेयर बाजार पर असर

ईरान-इज़राइल संघर्ष ने अडानी ग्रुप के शेयरों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। अडानी पोर्ट्स के शेयर 3% गिरकर 1,402 रुपये पर पहुंच गए, जबकि अन्य अडानी ग्रुप कंपनियों के शेयर भी निवेशकों की चिंताओं के कारण प्रभावित हुए। भारतीय स्टॉक मार्केट, विशेष रूप से सेंसेक्स और निफ्टी, में भी अस्थिरता देखी गई, क्योंकि वैश्विक बाजारों में तनाव के कारण गिरावट आई

अडानी ग्रुप का बयान

अडानी ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि वह ईरान से किसी भी तरह के व्यापार में शामिल नहीं है और उसकी नीति के अनुसार उसके बंदरगाहों पर ईरानी माल नहीं आता है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन करने या ईरानी मूल के तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) के व्यापार में शामिल होने से इनकार किया है। यह बयान उनकी वैश्विक छवि को बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन मध्य पूर्व में उनके विस्तार की योजनाएँ जोखिम में हैं।

व्यापक आर्थिक प्रभाव

ईरान-इज़राइल संघर्ष का असर केवल अडानी ग्रुप तक सीमित नहीं है। तेल की कीमतों में 12% से अधिक की वृद्धि और व्यापार मार्गों में व्यवधान से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ प्रभावित हो रही हैं। भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए, यह ऊर्जा कीमतों में वृद्धि और मुद्रास्फीति में तेजी ला सकता है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता से निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है, जो अडानी ग्रुप जैसे बड़े समूहों के लिए चुनौतीपूर्ण है।

निष्कर्ष

ईरान-इज़राइल संघर्ष ने गौतम अडानी के कारोबार पर गंभीर प्रभाव डाला है, विशेष रूप से उनके इज़राइल में निवेशों पर। हाइफा बंदरगाह पर परिचालन चुनौतियाँ और सेमीकंडक्टर परियोजना की अनिश्चितता ने जोखिम बढ़ा दिए हैं। हालांकि, रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उद्यम को बढ़ी हुई मांग से लाभ हो सकता है। अडानी ग्रुप ने अतीत में कई चुनौतियों का सामना किया है और उनकी रणनीतियाँ संकेत देती हैं कि वे इस स्थिति से उबरने के लिए कदम उठा सकते हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

हाइफा बंदरगाह की वर्तमान स्थिति क्या है?

हाइफा बंदरगाह पर कार्गो में देरी और शिपिंग मार्गों में परिवर्तन की समस्याएँ हैं, जिससे संचालन प्रभावित हुआ है।

इज़राइली रक्षा बलों की बढ़ी हुई ड्रोन मांग से इस संयुक्त उद्यम को लाभ हो सकता है, क्योंकि यह हरमेस 900 ड्रोन्स का निर्माण करता है।

नहीं, अडानी ग्रुप ने स्पष्ट किया है कि वह ईरान से किसी भी तरह के व्यापार में शामिल नहीं है और उसके बंदरगाहों पर ईरानी माल नहीं आता है।

हाँ, तेल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से भारत में मुद्रास्फीति और आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।